*जरुरी नहीं हैं कि प्रकाश झा आप से गीत लिखवाऐं....रुस्तम घायल */रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*जरुरी नहीं हैं कि प्रकाश झा आप से गीत लिखवाऐं....रुस्तम घायल*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】मशहूर फिल्मी गीतकार रुस्तम घायल का जनम 10 अगस्त 1967 को इस्लाम अंसारीजी के घर तुनिया अंसारी टोला बेतिया वेस्ट चंपारण में हुआ । उनकी माताजी का नाम बि.बि रउफन नेशा हैं व बिबी का नाम सकिना खातुन है। इनकी शिक्षा गुलाब मेमोरियल कालेज बेतिया से हुई ऐ पढने में स्कालर्स सटुडेंट थे । दौरान रुस्तम घायल कई बार फिल्म डायरेकटर प्रकाश झा से मिले थे । तब घायल ने फिल्मों में गीत लिखने की अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होने कहां कि घायल, किराऐं का पैसा लो और घर चले जाओं हालांकि प्रकाश झा उनके गांव के ही हैं पर रुस्तम घायल ने हार नही मानी । उनको फिल्मी गीतकार बनना ही था।
उन्होने सबसे पहला गीत मशहुर गायक गीतकार विधायक मंत्री विनय बिहारीजी के लिए लिखा। उसके पश्चात मनोज तिवारी, भरत शर्मा बेयाश,कल्पना पटवारी, इंदू सोनाली,शायराबानू फैजाबादी, बिनोद मिश्रा ,नासिर हसन, साधना सरगम,अलका याग्निक जी के लिए बहुत सारें,अनेको गीत लिखें। जो मशहूर भी हुए। आहिस्ता आहिस्ता घायल की कलम बोलने लगी और वह मशहूर होते चले गए। अब वह प्रकाश झा जैसे लोगों के मोहताज नहीं। क्योंकि उन्होंने खुद अपनी बुलंदी खडी कर दी थी।
अभी इनकी रिलीज़ फिल्मों में "सेनुरा के लाज","सुहागीन","कसम धरती मईया की," "बा केहू माई के लाल", "केहूं हम से जीत ना पाई", "लाट साहब","कजरी' आदि हैं ।
रूस्तम घायल का कहना हैं आप को काम आपकी सोच और आपकी कारगुजारी देगी। लगे रहीए, आपकी मेहनत रंग लाएगी । रुस्तम घायल बेहतरीन शायर हैं। बर्षों से हिंदी उर्दू साहित्य में रत हैं। उसे किसी भी बात का मलाल हैं। इतनी शोहरत के बाद भी उन्हें किसी भी बात का गुरुर नहीं। सादगी पूर्ण जीवन जिते हैं।
हमारे पत्रकार स्पर्श देसाई उन्हें कई बार मिलें हैं। जब भी मिले उन्होंने गले लगा लिया था। इस बोलीवुड में रुस्तम घायल अब एक जाना पहचाना नाम हैं। हिंदी फिल्म की कई मशहूर शख्सियतों से वह मिल चूके हैं। सालों इस बोलीवुड इंडस्ट्री में कठोर संघर्ष करने के बाद उन्हें यह मकाम हासिल किया है। उनके संघर्ष को सो सो सलाम करने को मन करता हैं।【Photos by MCP】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Young Fox•News Channel•#फिल्मेंं#गीतकार#संघर्षकथा
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