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Showing posts from January, 2022

*हिन्दी फिल्म जगत की अदभुत गायिका सुमन कल्याणपुर को लोगों ने भूला दिया*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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*हिन्दी फिल्म जगत की अदभुत गायिका सुमन कल्याणपुर को लोगों ने भूला दिया*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई 【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】 सन 1954 में पार्श्वगायिका सुमन कल्याणपुर ने हिंदी सिनेमा जगत में अपना कैरियर शुरू किया था। 34 साल तक लगातार हिन्दी सिनेमा को अपनी आवाज़ में गीत सुनाती रही मगर संगीत प्रेमियों के लिए वो हमेशा पहेली बनी रही कि-"कौन गा रही है ? लता तो नहीं?"मगर किसी भी संगीत प्रेमी ने,यहां तक कि किसी फिल्मी हस्ती ने भी यह सबाल नहीं उठाया कि सुमन को कभी फिल्मफेयर अवार्ड क्यों नहीं मिला? किसी फिल्मी पत्रकार को भी यह जानने की फुरसत नहीं मिली कि सुमन कल्याणपुर अपने फिल्मी कॅरियर से खुश हैं या नहीं? सुमन कल्याणपुर के इस दर्द को समझा था,गीतकार योगेश और संगीतकार रोबिन बनर्जी ने। सुमन और संगीतकार रोबिन बनर्जी का साथ साल 1958 में प्रदर्शित रोबिन की पहली फिल्म "वजीरे-आजम "से लेकर साल 1971 में प्रदर्शित रोबिन की अंतिम हिंदी फिल्म "राज़ की बात" तक रहा।  सुमन कल्याणपुर की आवाज़ के बिना रोबिन बनर्जी की फिल्म अधुरी थी। गीतकार योगेश की फिल्मी पहचान भी सुमन कल्याणपुर के ग...

*भारत के पहले शोमैन राजकपूर सिर्फ भारत,रशिया में ही लोकप्रिय नहीं थे,वो पाकिस्तान की सेना में भी लोकप्रिय थे*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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*भारत के पहले शोमैन राजकपूर सिर्फ भारत,रशिया में ही लोकप्रिय नहीं थे,वो पाकिस्तान की सेना में भी लोकप्रिय थे*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई 【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】राहुल रवैल भारत के जानेमाने फ़िल्म निर्देशक हैं । उन्हें कई फ़िल्मों में राज कपूर के साथ बतौर सहायक निर्देशक काम करने का मौक़ा मिला । हाल ही में उन्होंने राज कपूर पर एक दिलचस्प किताब लिखी है- 'राज कपूर: द मास्टर एट वर्क' । इसमें उन्होंने राज कपूर के जीवन पर कुछ यादों का जिक्र किया है । फिल्म बॉबी' की शूटिंग के दौरान राज कपूर कश्मीर में कुछ शॉट ले रहे थे । जब वो सेना की एक चौकी से गुज़रे तो उनके रास्ते में एक बैरीकेड लगा था । वहां तैनात सैनिकों ने उनसे कहा कि इससे आगे जाने की इजाज़त नहीं है तो राज साहब ने कहा कि तुम अपने कमांडर को बुलाओ और उनसे कहो कि राज कपूर आए हैं । कमांडर ने आकर न सिर्फ़ राज कपूर का अभिवादन किया बल्कि उनके लिए दो जीपों की व्यवस्था की ताकि उनकी टीम को भारत-पाकिस्तान सीमा तक ले जाया सके । राहुल रवैल बताते हैं कि जब हम सीमा पर पहुंचे तो सारे जवान हमारा इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि उन्हें पहले ही वायरलेस...

*सलमान खान के पड़ोसी केतन कक्कड़ का बड़ा आरोप- एक्टर के फार्म हाउस पर कई फिल्म स्टार्स की लाशों को दफनाया गया है*/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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*सलमान खान के पड़ोसी केतन कक्कड़ का बड़ा आरोप- एक्टर के फार्म हाउस पर कई फिल्म स्टार्स की लाशों को दफनाया गया है*/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई 【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】एक्टर सलमान खान ने कुछ दिनों पहले मुंबई के पनवेल स्थित अपने फार्म हाउस के पड़ोसी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था । इस मामले में मुंबई सिटी सिविल कोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाई में सलमान खान ने अपने वकील के जरिए पड़ोसी केतन कक्कड़ पर बेवजह अपनी धार्मिक पहचान को विवाद में घसीटने का आरोप लगाया है,साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि केतन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सलामन खान के फार्म हाउस पर कई फिल्म स्टार्स की लाशों को दफनाया गया है । एक रिपोर्ट के मुताबिक,सलमान खान के वकील प्रदीप गांधी ने सुनवाई के दौरान केतन कक्कड़ के पोस्ट और इंटरव्यू कोर्ट के सामने पढ़े हैं । उन्होंने बताया कि केतन ने सलमान खान पर 'डी गैंग' के फ्रंट मैन होने,धार्मिक पहचान पर कमेंट करने और केंद्र व राज्य स्तर पर सत्ताधारी पार्टी से जुड़े होने के आरोप लगाए हैं । इतना ही नहीं केतन ने यह भी दावा किया था कि सलमान बच्चों की तस्करी में शामिल हैं और उनके फार्...

*भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री चित्रा हैदराबाद की शहजादी थी,उन्होंने बी ग्रेड की 100 फिल्में की थी,उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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*भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री चित्रा हैदराबाद की शहजादी थी,उन्होंने बी ग्रेड की 100 फिल्में की थी,उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई 【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】हिन्दी फिल्म जगत की अभिनेत्री चित्रा (01 नवंबर 1937 - 11 जनवरी 2006) का असली नाम अफसर यूनिसा बेगम था। वह हैदराबाद की रहने वाली थी। वह 1950 - 1960 के दशक में सबसे सक्रिय और लोकप्रिय अभिनेत्री (नायिका) थीं। उनकी पहली फिल्म "मन" (1954) थी। 50 और 60 के दशक में कम बजट की फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्री थी । चित्रा हैदराबाद की रहने वाली हैं। वह अक्सर छुट्टियों के लिए मुंंबई आती जाती रहती थी । उनको फिल्में देखना पसंद था । वह कमाल अमरोही से तब मिली जब वह केवल 11 साल की थी लेकिन अमरोही ने उसे कुछ साल इंतजार करने के लिए कहा था। 3-4 साल बाद पी.एन. अरोड़ा अपने आने वाले प्रोडक्शन के लिए नई लड़की की तलाश में थे। वह एक ऐसी लड़की चाहते थे जो एक ही समय में मासूम और चुलबुली दिखे। चित्रा ने भूमिका को पूरी तरह से फिट किया और "चोर बाजार" (1954) में शम्मी कपूर के साथ अपना पहला ब्रेक मिला था। चित्रा को ...

*बोलीवुड में तीनभाई लोग थे खतरनाक विलेन..क्या आप उनके बारे में कुछ जानते हैं?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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*बोलीवुड में  तीनभाई लोग थे खतरनाक विलेन..क्या आप उनके बारे में कुछ जानते हैं?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई 【मुंंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】बॉलीवुड में ऐसे तमाम अभिनेता हुए हैं, जिन्होंने फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया है और अपनी एक्टिंग से अलग छाप छोड़ी है। अमरीश पुरी ऐसे ही कलाकार हैं, जिन्होंने अपने अभिनय से किरदारों को ऐसे जीवंत किया कि उन पर बेयकीनी की कोई वजह नहीं थी। अपनी ऊंची कद-काठी और बुलंद आवाज के बल पर अमरीश पुरी सबसे आगे निकल गए। उनकी गोल-गोल घूमती हुई आंखें सामने खड़े व्यक्ति के भीतर दहशत पैदा कर देती थी लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि हिंदी सिनेमा में अमरीश पुरी, चमन पुरी और मदन पुरी की जोड़ी है जो कि खास भाईयों की जोड़ी थी। अमरीश पुरी के भाई चमन पुरी और मदन पुरी भी बॉलीवुड की फिल्मों में विलेन का किरदार कर चुके हैं। अमरीश पुरी की फिल्में तो बहुत देखी होंगी और अमरीश पुरी के विलेन के किरदार को बहुत ज्यादा पसंद भी किया होगा। वही दूसरी तरफ अमरीश पुरी के भाई मदन पुरी ने भी कई सालों तक बेहतरीन अभिनय करके नाम कमाया है। अभिनेता मदन पुरी ने बॉलीवुड और पंजाबी फिल्मों में खू...

*फिल्म मेकर बासु चटर्जी का हिंदी सिनेमा में अहम योगदान रहा है। उनकी जन्म जयंती पर उन्हें विनम्र स्मरणांजलि*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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*फिल्म मेकर बासु चटर्जी का हिंदी सिनेमा में अहम योगदान रहा है। उनकी जन्म जयंती पर उन्हें विनम्र स्मरणांजलि*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई 【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】फिल्म मेकर बासु चटर्जी का हिंदी सिनेमा में अहम योगदान रहा है। ह्यूमर उनकी ख़ासियत थी। उन्होंने कई क्लासिक और कल्ट समझी जाने वाली फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन किया था। मध्यम वर्ग की नब्ज़ पकड़कर फ़िल्में बनाने में बासु दा को महारत हासिल थी। उनकी फ़िल्मों के किरदार रोज़-मर्रा की ज़िंदगी से निकलते थे। वो दिखने में सीधे-साधे मगर शरारती होते थे। बासु दा की फ़िल्मों की लिस्ट में"रजनीगंधा","छोटी सी बात","चितचोर", "दिल्लगी","खट्टा-मीठा","पसंद अपनी-अपनी" और "चमेली की शादी" जैसी फ़िल्में शामिल हैं।  बासु चटर्जी का जन्म 10 जनवरी 1930 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था। बासु दा ने अपना करियर "ब्लिट्ज़ मैगज़ीन" में बतौर कार्टूनिस्ट शुरू किया था। 18 साल वहां काम करने के बाद बासु दा ने फ़िल्मों की ओर रुख़ किया। उन्होंने करियर की शुरुआत एक और दिग्गज फ़िल्ममेकर बासु भट...