*भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री चित्रा हैदराबाद की शहजादी थी,उन्होंने बी ग्रेड की 100 फिल्में की थी,उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】हिन्दी फिल्म जगत की अभिनेत्री चित्रा (01 नवंबर 1937 - 11 जनवरी 2006) का असली नाम अफसर यूनिसा बेगम था। वह हैदराबाद की रहने वाली थी। वह1950 - 1960 के दशक में सबसे सक्रिय और लोकप्रिय अभिनेत्री (नायिका) थीं। उनकी पहली फिल्म "मन" (1954) थी।

50 और 60 के दशक में कम बजट की फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्री थी । चित्रा हैदराबाद की रहने वाली हैं। वह अक्सर छुट्टियों के लिए मुंंबई आती जाती रहती थी । उनको फिल्में देखना पसंद था । वह कमाल अमरोही से तब मिली जब वह केवल 11 साल की थी लेकिन अमरोही ने उसे कुछ साल इंतजार करने के लिए कहा था। 3-4 साल बाद पी.एन. अरोड़ा अपने आने वाले प्रोडक्शन के लिए नई लड़की की तलाश में थे। वह एक ऐसी लड़की चाहते थे जो एक ही समय में मासूम और चुलबुली दिखे। चित्रा ने भूमिका को पूरी तरह से फिट किया और "चोर बाजार" (1954) में शम्मी कपूर के साथ अपना पहला ब्रेक मिला था। चित्रा को नरगिस बेहद पसंद थीं।  वह उन्हें एक महान कलाकार के रूप में देखती थीं। वह मीना कुमारी से भी प्रभावित थीं और जब उन्होंने उन्हें "बैजू बावरा" में देखा तो उन्हें पता था कि वह एक अभिनेत्री बनना चाहती हैं। उनकी शुरुआती रिलीज़ में से एक अजीत के साथ "मन" नामक फिल्म थी। कई कॉस्ट्यूम ड्रामा में काम करने के दौरान उन पर कई डांस नंबरों को चित्रित किया गया था। उन्हें कई मधुर नंबरों पर परफॉर्म करने को मिला था। उनके कुछ प्रसिद्ध गीत हुए थे। जिसमें फिल्म "मदारी" से दिल लूटनेवाले जादूगर (1959), "हूर-ए-अरब" से तारा रा रम... (1955), "नूर महल" से मेरे महबूब ना जा... (1965), ये किया  कैसा तूने
जादू... फिल्म "ज़िम्बो" से (1958), मैं से जौन ना जमुना किनारे... बाप बेटे (1959) से और भी बहुत कुछ लेकिन सौ से अधिक बी ग्रेड या कम बजट की फिल्में करने के बाद चित्रा परियोजनाओं का चयन करने में बहुत चुनौतिपूर्ण हो गईं और इस प्रक्रिया में बहुत समय गंवा दिया। काम उसके रास्ते में आना बंद हो गया और वह 60 के दशक के अंत में सेवानिवृत्त हो गई। 11 जनवरी 2006 को लंबी बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली थी ।

पत्रकार खालिद मोहम्मद द्वारा लिए गए वर्ष 1990 के चित्रा के साक्षात्कार के विशेषज्ञ : मैं हैदराबाद के एक नवाबी (शाही) परिवार से हूँ। मैं छुट्टियों के लिए बॉम्बे आया करती थी । मुझे फिल्मों का शौक था तो मैंने खुद से कहा, मैं हीरोइन क्यों नहीं बन जाती? आईने ने कहा हां, आपको जरूर करना चाहिए।  मैं 'मन' में अजीत के अपोजिट हीरोइन बनी थी लेकिन मैं शम्मी कपूर की नायिक के रूप में "चोर बाजार" से वास्तव में लोकप्रिय हो गई । मैंने ऐतिहासिक, सामाजिक जैसी हर तरह की फिल्में की हैं ।  आप इसे नाम दें। मैंने राजेंद्र कुमार, बलराज साहनी, प्रदीप कुमार, महिपाल और फिरोज खान के साथ काम किया है। मैं एक बंगले-प्रकार के घर में रहती थी । जैसे-जैसे मैं अधिक से अधिक लोकप्रिय होती गई, मैंने सात कारों को बदला था । मैंने 111 फिल्में की हैं । मैंने उन्हें वास्तव में गिना है। मैं भारत की पहली जंगल रंगीन फिल्म - "ज़िम्बो" में था!  मैं एवीएम स्टूडियो के बाप बेटे में भी थी लेकिन फिर एक अजीब सी त्रासदी हुई। मैं बहुत ज्यादा चूजी हो गई थी । यह सोचकर कि मुझे यह फिल्म करनी चाहिए या वह फिल्म उसमें मैंने बहुत समय गंवा दिया। "ज़िम्बो" (1958) से चित्रा पर चित्रित सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक चित्रगुप्त द्वारा संगीत और आशा भोंसले द्वारा गाया गया "ये किया तूने कैसा जादू ..."

चित्रा की चयनित फिल्मोग्राफी :
1954 मन, चोर बाजार और तिलोत्तमा
1955 आज की बात, बगदाद का चोर,
           अंधेर नगरी चौपट राजा,दरबार,
           हातिमताई, हूर-ए-अरब, रूप बसंत,
           सखी हातिम और अलीबाबा के बेटे ।
1956 आलम आरा, बागी सरदार,
           बसरे की हूर, इंद्र सभा,
           काला चोर, लाल-ए-यमन,
           नक़ाब पॉश, नूर-ए-यमन,
           सुल्तान-ए-आलम और जिंदगी के मेले ।
1957 बंसरी बाला,नीलोफर,पाक दमन,
           परवीन, सती परीक्षा और शाही बाजार ।
1958 कभी अंधेरा कभी उजाला
           खज़ांची, सैर-ए-परिस्तान
           शान-ए-हातिम और ज़िम्बो ।
1959 बाप बेटे, बेहराम डाकू, मदारी,
           नेक खातून, ओ तेरा क्या कहना और
           साहिल ।
1960 दो दोस्त, पेड्रो, कातिल,
           जालिम, तेरा जवाब नहीं और
           ज़िम्बो शहर में ।
1961 हावड़ा एक्सप्रेस,मुराद,
           कमरा नंबर 17 और साया ।
1962 काला समंदर, माया जाल और
           रिपोर्टर राजू ।
1963 पाताल नगरी, टार्ज़न और जादूगर और
           जरक खान ।
1964 चैलेंज, ईद का चांद,
           जादूई अंगुठी, खुफिया महल,
           जादूई कालीन, टार्ज़न और डिला ईला,
           टार्ज़न और कैपिटन किशोर और
           टार्ज़न और जलपरी ।
1965 बागी हसीना, छुपा रुस्तम 【पूरानी】
           मैं हूं जादूगर, नूर महल,
           शाही लुटेरा और टार्ज़न और सर्कस ।
1966 जादू ।【 सुरेश सवैया द्वारा संकलित।फेसबुक वाल से साभार】【Photo Courtesy Facebook】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Young Fox•News Channel•#चित्रा

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