*"इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया" की ज्यूरी ने गोवा में कहा कि हिन्दी फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" एक प्रोपेगेंडा और वल्गर फिल्म है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*"इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया" की ज्यूरी ने गोवा में कहा कि हिन्दी फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" एक प्रोपेगेंडा और वल्गर फिल्म है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】गोवा में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष नादव लापिड ने 28 नवंबर सोमवार को गोवा के पणजी में समापन समारोह में कहा कि निर्माता विवेक अग्निहोत्री की फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" एक "प्रोपेगेंडा और वल्गर फिल्म "है और IFFI में भारत के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड में शामिल होने के योग्य नहीं है। दर्शकों को संबोधन करते हुए ज्यूरी प्रमुख ने यह बात कही थी। उस वक़्त केंद्र के आईबी मंत्री अनुराग ठाकुर,गोवा के चीफ मिनिस्टर प्रमोद सावंत भी वहां मौजूद थे। इजरायली निदेशक ने कहा कि अग्निहोत्री के बयान से "सभी ज्यूरी सदस्य" "परेशान और हैरान" थे। फिल्म 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के, घाटी से हुए दुर्भाग्यपूर्ण और दु:खद पलायन पर आधारित है। 

यह एक गंभीर टिप्पणी है और भारतीय फिल्म निर्माताओं को आईएफएफआई में की गई हैं । जिसे सबको ज्यूरी की इस टिप्पणी को गंभीरता से लेना चाहिए। दुनिया में हम सबसे अधिक फिल्में बनाने वाले देश के रूप में जाने जाते हैं। ज्यूरी प्रमुख लापिड ने कहा कि यह हमें पूरी तरह से एक प्रचार व अश्लील फिल्म की तरह लगी थी। जो इस तरह के एक प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के कलात्मक प्रतिस्पर्धी खंड के लिए अनुरुप नहीं है। मैं यहां मंच पर आपके साथ इन भावनाओं को खुले तौर पर साझा करने में पूरी तरह से सहज महसूस करता हूं। आगे उन्होंने कहा कि क्योंकि उत्सव में हमने जो भावना महसूस की वह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण चर्चा को भी स्वीकार कर सकती है । जो कला और जीवन के लिए आवश्यक है। इजरायली फिल्म निर्देशक लापिड के अलावा इस निर्णायक मंडल में अमेरिकी निर्माता जिंको गोटोह, फ्रांसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस, फ्रांसीसी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता जेवियर अंगुलो बार्टुरेन और एक भारतीय निर्देशक, सुदीप्तो सेन थे। लापिड इज़राइल के एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त निर्देशक हैं और उनकी फिल्में कई अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में पुरस्कृत और सराही जा चुकी हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आईएफएफआई के ज्यूरी प्रमुख की यह टिप्पणी फिल्म,रंगमंच और अन्य ललित कलाओं को किसी खास उद्देश्य के लिए घृणित और वैमनस्यता फैलाने वाली मानसिकता से दूर रखने का एक संदेश और आग्रह भी है। फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" जब पर्दे पर आई थी । तभी उस पर कश्मीर से जुड़ी कुछ मिथ्या घटनाओं के चित्रण के आरोप भी लगे थे। पर जब उन घटनाओं पर बात शुरू हुई तो आलोचकों को ही फिल्म के समर्थकों ने ट्रोल करना शुरू कर दिया था। फिल्म के प्रदर्शन के लिए जिस तरह से बीजेपी शासित सरकारों ने पूरी दीवानगी दिखाई थी। उससे तभी लग रहा था कि यह फिल्म एक विशेष मानसिकता के प्रोपेगेंडा के उद्देश्य से ही बनाई गई है। 

फिल्म ने आशा के विपरीत बहुत धन कमाया पर उसका कारण फिल्म का कथन,शिल्प,अभिनय आदि में श्रेष्ठ होना नहीं था बल्कि फिल्म देखने के लिए एक मिशन की तरह से सांप्रदायिक आधार पर लोगों को प्रेरित या ध्रुवीकृत किया जाना था। लगभग सभी बीजेपी राज्यों में इस फिल्म को कर मुक्त किया गया था। फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग की गई थी और तो और फिल्म की आलोचना भले ही वह फिल्म के तकनीकी पक्ष की कि गई हो या अभिनय की या निर्देशन की हो उसे देश की अस्मिता से जोड़ कर देखा जाने लगा था। फिल्म के पक्ष और विरोध में जैसा वातावरण बनाया गया था । वैसा अब तक शायद ही किसी फिल्म को लेकर बनाया गया होगा हालांकि फिल्म समीक्षक तब भी इस फिल्म को एक प्रोपेगेंडा फिल्म के ही रूप में देखते थे और इसे एक औसत दर्जे की फिल्म ही मानते थे। फिल्म के सांप्रदायिक आधार पर विभाजनकारी होने की बात भी कही गई है। 

आईएफएफआइ की ज्यूरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के काबिल और प्रोफेशनल फिल्म निर्देशक होते हैं । जो कला, अभिव्यक्ति,संवेदनशीलता की आड़ में फैलाए जाने वाले प्रोपेगेंडा को आसानी से भांप जाते हैं। ज्यूरी ने फिल्म के उद्देश्य, प्रोपेगेंडा और कथ्य तथा शिल्प को वल्गर कह कर इसे एक शॉक देने वाली फिल्म बताया है। ज्यूरी का यह बयान किसी वक़्त "कश्मीर का सच दिखाने वाली फिल्म "के रूप में प्रचारित इस फिल्म पर एक गंभीर और प्रोफेशनल टिप्पणी है लेकिन "द कश्मीर फाइल्स" फिल्म पर IFFI ज्यूरी हेड और इजराइल के फिल्म मेकर नादव लापिड के बयान पर विवाद मच गया है। इस मामले में भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होने ज्यूरी हेड लापिड के बयान को उसका अपना निजी बताया था। उन्होंने कहा कि नादव लापिड के बयान पर हमें शर्म आती है। दरअसल गोवा में आयोजित 53वें फिल्म फेस्टिवल समारोह के समापन पर IFFI ज्यूरी प्रमुख नादव लापिड ने "द कश्मीर फाइल्स" को वल्गर और प्रोपेगेंडा फिल्म करार दिया था । उन्होंने कहा कि मैं इस तरह के फिल्म समारोह में ऐसी फिल्म को देखकर हैरान हूं। आईएफडीआई IFFI ज्यूरी के बयान पर फिल्म स्टार अनुपम खेर ने सख्त प्रतिक्रिया दी है । उन्होंने ट्वीट कर ज्यूरी के प्रमुख इजरायली फिल्म मेकर लापिड पर निशाना साधा था। वहीं फिल्म मेकर अशोक पंडित ने इसे कश्मीरियों का अपमान बताया था। विवेक अग्निहोत्री निर्देशित इस फिल्म में अनुपम खेर,मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी की मुख्य भूमिका हैं । दौरान फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने कहा था कि आज मैं सभी बुद्धिजीवियों, नक्सलियों और इस्राइल के इस महान फिल्म निर्माता को चुनौती देता हूं । यदि वे यह साबित कर सकते हैं कि" द कश्मीर फाइल्स "का एक भी सीन का शॉट, संवाद, घटना असत्य है, तो मैं फिल्में बनाना छोड़ दूंगा।

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Young Fox•News Channel•#द कश्मीर फाइल#गोवा#ज्यूरी#इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया

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